Secretary Message

  • सन 1901 में मेरे पूर्वज जो की रिश्ते मेरे आदरणीय परबाबा लगेंगे श्री हरिहर सिंह जी और श्री लाल जी सिंह जी के द्वारा अपने गाँव में सर्वप्रथम संस्कृत विद्यालय की स्थापना की गई उस समय कई अन्य जिलो के साथ साथ कई अन्य छेत्रोके विद्यार्थी यहा से अपनी आचार्य तक की शिक्षा-दीक्षा ग्रहण किया करते थे फिर उनके द्वारा शिक्षा के छेत्र में एक और प्रयास  सन 1930  में अपने गाव में विद्यालय की स्थापना कर के किया गया देश आज़ाद हुआ और बाद में ये विद्यालय मध्य विद्यालय के रूप में स्थापित क्र दिया गया जिसमें विद्यार्थियोंके  समुचित शिक्षा का प्रभार मेरे पिताजी स्वर्गीय श्री आनंद बिहारी सिंह जी के हाथो में सौपा गया | उस समय की वर्तमान सरकार नेमेरे पिताजी और  उनके द्वारा किये गये कार्यो की अभूतपूर्व सराहना की और इस विद्यालय को अपने आधीन कर राजकीय मध्य विद्यालय की संज्ञा दी |

 

  • इस प्रकार मेरी परिवारिक पृष्टभूमि भी शिक्षा के छेत्र में मेरे जुडाव का असली कारण बनी और इन्ही परिवारिक पृष्टभूमि के प्रे रणा श्रोत के फलस्वरूप एक कदम और आगे बढ़ क र  अपने छेत्र में महाविद्यालय की स्थापना करने का  कृतसंकल्प किया|
  • महाराणा प्रताप महाविद्यालय के संस्थापक एवं अध्यक्ष होने के नाते मेरा एक दिवा स्पप्न था की मेरे द्वरा स्थापित इस विद्यालय से इस छे त्र के तथा आस पडोस के गाव और कस्बो के बच्चो को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दूर जाने की कोइ आवश्यकता न पड़े खासकर उन बालिकावो के लिए जो उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए कोई समुचित  वाव्स्था न हो पाने के कारण उनकी पढाई बिच में ही बाधित  हो जाया  करती थी|
  • इस दिवा स्वप्ना को साकार करने के लिए  इस्वर की असीम अनुकम्पा से मुझे आत्मबल मिला और इस कारण  इस महाविद्यालय की स्थापना मै कर सका|
  • आज महाराणा प्रताप महाविद्यालय सिवान जिले का गौरव है जहा पठान पाठन की प्रयोगशाला की और उच्च कोटि के प्राध्यापको के साथ साथ एक मेहनती कर्मचारियों का समुह है  जिसके फलस्वरूप वर्तमान में  यह द्रुत गति से अपने संचालन की सफलता को काफी  गति प्रदान कर  रहा है|
  • मेरी शुभकामना इस विद्यालय परिवार के साथ साथ इस विद्यालय से उत्रिंण हो कर छात्रएवं छात्राओ के साथ है जो की आगे आने वाले अपने जीवन में वे उच्चसे उच्च  मुकाम हासिल करे |

श्री अमरेन्द्र कुमार सिंह (वरीय अधिवक्ता सिवान)